सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

चुनावी नैया और बजट की चाशनी



रमेश भगत

मंहगाई की मार से परेशान आम जनता को खुश करने के लिए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इस बार भी लोकलुभावन आम बजट पेश किया। इस बजट में सभी को संतुष्ट करने की कोशिश की गई है। जैसे- ‘‘भारत निमार्ण‘‘ योजना के लिए 58,000 करोड़ रुपए, सर्वशिक्षा अभियान में 21,000 करोड़ रुपए, स्वास्थय क्षेत्र में 20 प्रतिशत राशि की बढ़ोतरी और महात्मा गांधी नरेगा के तहत मजदूरी में वृद्धि की गई। इस तरह की कई अन्य घोषणाएं की गई है। लेकिन किसी भी क्षेत्र में नया कदम उठाने का प्रयत्न नहीं किया गया है, जिससे इन योजनाओं में फैली भ्रष्टाचार को कम किया जा सके। इस बजट को देखकर यही कहा जा सकता है कि सरकार इसी स्थिती से खुश है, जैसा मौजूदा दौर में सबकुछ चल रहा है।
वित्त मंत्री ने काला धन के लिए 5 सुत्रीय योजना बनाने की घोषणा की है। लेकिन जब देश की अथाह संपति काले धन के रुप में विदेशों में मौजूद हो तो उसे वापस लाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरुरत थी। महिलाओं के लिहाज से भी इस बजट में सरकार की तरफ से कोई खास ऐलान नहीं किया गया हैं। हालांकि म्युचुअल फंड में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के ऐलान से बाजार को थोड़ा फायदा जरुर होगा। इस घोषणा को सुनकर शेयर बाजार में उछाल भी देखा गया है।


इस वर्ष पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाला है। इस बात को ध्यान में रखकर सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई लोकलुभावन कदम उठाए है। जिनमें रसोई गैस, किरासन तेल में सब्सिडी, एसटी-एससी छात्रों को वजीफा, आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन में वृद्धि आदि। सरकार ने इस बजट का अपनी चुनावी योजनाओं को पुरा करने का प्रयास करेगी। लेकिन क्या यह बजट आम आदमी को मंहगाई से दूर करने में और कालाधन वापस लाने में कारगर होगी? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।


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