बेचैनी इस कदर छाई है दिल में
बेचैनी इस कदर छाई है दिल में,
कि पल पल आस टूट रही.
नज़रों ने पल पल जिन्हें तलाशा,
उनकी आस में आस टूट रही.
कोई मरहम तो बताये टूटे आस की,
कि टूटे आस से मिलन कि आस पा सकूं.
जिया हूँ जिनमे डूब कर,
उनकी परछाई भी अब दूर जा रही.
उनके साथ का आस लगाये हुए,
अपनी परेशानियों के सहर होने का इंतजार कर रहा.
न मालूम कब आएगी वो घड़ी,
जब मेरी नज़रों को उनका दीदार होगा.
बेतहाशा अपनी कश्ती को दौड़ाये जा रहा,
इस आस में की उनका साथ पा सकूँ.
रमेश कुमार IIMC
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