विस्थापन की पीड़ा
उस अथाह पीड़ा को सहना
अब सबके बस की बात नहीं
विस्थापन की पीड़ा झेल रहे
आदिवासियों को अब
पुनर्वास की आस नहीं
कम्पनियों की बेहयाई से
उनके विस्थापन का इलाज नहीं
तो सरकार की बेरुखी से
उन्हें न्याय की आस नहीं
उनकी सत्याग्रह और अहिंसा
गाँधी के देश को रास नहीं
उनका आक्रोश बढ़ता देख
माओ ने उन्हें आस बंधाई
पर जिसने है माओ को जाना
कहते हिंसा उसका काम पुराना
उनकी समस्या का समाधान करने
आना होगा हम सबको सामने
ताकि उन्हें करे हम माओ से दूर
और गाँधी हो सबके नूर.
रमेश भगत
IIMC
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