सोमवार, 17 जनवरी 2011

स्वामी अग्निवेश के साथ एक मुलाकात (an interview with swami agnivesh )

दिल्ली में पिछले साल नवम्बर में जब गाँधी कथा चल रही थी वहीं पर हमारी मुलाकात स्वामी अग्निवेश से हुई. स्वामी जी से मैंने कई विषयों पर बात की. यह विषय काफी गंभीर और महत्वपूर्ण  हैं. पेश है बातचीत के मुख्य 
अंश:
भाग: 1

 स्वामीजी गाँधी कथा आपको कैसी लगी?
 गाँधी कथा बहुत ही मार्मिक लगा. मुझे ऐसा लगा कि युवा पीढ़ी  को गांधीजी के प्रति आकर्षित होना चाहिए. गाँधी जी की तरह साधारण से साधारण व्यक्ति को अपने जीवन में प्रयोग करना चाहिए. इससे समाज में व्यापक बदलाव आएगा.
वर्तमान में गांधीजी की क्या प्रासंगिकता है?
गांधीजी की प्रासंगिकता तब तक रहेगी जब तक मनुष्य है. ये युग के साथ या 2010 के साथ नहीं जुड़ा है. मनुष्य के जीवन में जो आंतरिक उर्जा है. उसका वह कैसे विकास कर सकता है? ये द्वंद हमेशा रहेगा और रहा भी है. गाँधी हर इन्सान के लिए प्रासंगिक है जो अपनी तलाश कर रहा है.मै कौन हूँ ? किसलिए आया हूँ? मुझे सत्य के लिए जीना है. सत्य ही ईश्वर है ये जो तलाश है हर युग में रहेगी.
 कहा जाता है कि अहिंसा के लिए हिंसा से अधिक साहस और निडरता कि जरूरत होती है. इस साहस और निडरता को समाज में किस तरह से बढ़ाया जा सकता है?
 इसके लिए हम महापुरुषों के बारे में अधिक से अधिक देखे, सुने, पढ़े और जाने. गाँधी ही नहीं बल्कि हर देश या दुनिया के महापुरुषों के बारे में हमे जानना चाहिए. उनके जीवन में झाकने से हमें प्रेरणा मिलती है. मै समझाता हूँ कि हम सब के अन्दर अहिंसा की शक्ति है. जहाँ भी न्याय है, करुणा है, दया है, वहाँ अहिंसा की शक्ति है. अहिंसा हर इन्सान के दिल में है.जैसा की गाँधी कथा के दौरान कहा गया "ईश्वर सब जगह, सब के अन्दर है". और ईश्वर क्या है? वह सत्य है. इतना ही पर्याप्त  है. हर इन्सान के अन्दर यह क्षमता है कि वह असत्य से अन्याय से जूझ सके.
किसी भी बदलाव में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. ऐसे में आप युवाओं को क्या सन्देश देना चाहेंगे? 
युवाओं को मै यह कहूँगा कि समाज को बदलने के लिए परिवर्तन का जो जज्बा होना चाहिए. उसके लिए जरूरी है कि पहले अपने आप को अन्दर से बदलना है. यदि आज के युवा ये बातें मंत्र ले ले कि समाज में जो सड़ांध है, विषमता है, शोषण है, एक दिन इसको बदलने के लिए मैं change agent बदलना चाहता हूँ तो मै खुद में बदलाव करू. Do the change what you want to see in the world. मुझे आज के युवाओं में बहुत संभावना दिखती है. आज के युवा पहले जैसा कुंठाग्रस्त जीवन नहीं जी रहें. कुंठाएं टूट रही हैं. युवा थोड़ा और जिम्मेदारी से सोच रहा है.
इस बदलाव में मीडिया की क्या भूमिका है?  

 मीडिया और बाकी राजनीति, अर्थनीति ये सब बहुत ही गौण चीज़े हैं. मीडिया को जो व्यक्ति बनाना चाहता है वही मीडिया बनता है. आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि ये जो टीवी, अख़बार को हम मीडिया मानते है, इनसे विचारों का जो सम्प्रेषण होता है, फैलाव होता है वो कम होता है. word of mouth से यानि word of mouth में आचरण की शक्ति जुड़ जाए तो कोई बात एक व्यक्ति कोई पांच व्यक्ति को बताये, अगले पांच और पांच को बताये तो 15 दिन तक पूरी दुनिया के इन्सान तक बात पहुँच जाएगी. मीडिया तो ये है. हम इसको नहीं समझ रहे हैं. हम ये देख रहे हैं कि अख़बार में कितना छप रहा है टीवी में कितना दिख रहा है, ये मीडिया की ताकत नहीं है. इससे कोई बदलाव नहीं आता. बदलाव की जो शक्ति है अपने आप में एक ईश्वर की गति से निकलती है. लेकिन वह काफी ठोस होनी चाहिए. दुःख यही है कि आज मीडिया माध्यमों से जितना भी परोसा जा रहा है वह बड़ा मिलावटी सा सत्य होता है, गहराई नहीं होती, वह छिछलापन सा होता है.
आज का जो युवा है वह गाँधी को कम सुनना चाहता है और मार्क्स को ज्यादा. बदलाव के लिए किनके विचार ज्यादा महत्वपूर्ण हो सकते है?  

गाँधी हो, मार्क्स हो, लिंकन हो, लेनिन हो ये अलग- अलग नहीं है. ये सब बदलाव के प्रबल प्रतीक हैं. इनमे से किसी एक को भी पकड़कर ईमानदारी से चलोगे तो आप अपना भी कल्याण करेंगे और समाज का भी. मै इनको एक दुसरे का पूरक देखता हूँ गाँधी, मार्क्स, माओ, लेनिन जो भी लोग हैं. ईसा मसीह, मुहम्मद साहब, दयानद सरस्वती, विवेकानंद जो भी दिखते हैं, बुद्ध, नानक, कबीर ये सब के सब एक दुसरे के पूरक हैं. एक परिवार के सदस्य जैसे हैं. हालाँकि ये बाँट दिए गये हैं अलग-अलग धर्म या विचारधारा में. आप देखेंगे कि मार्क्स भी कह रहा है कि क्यों हो रहा है शोषण? इसे जानने के लिए उसके जड़ में जाओ. गाँधी भी कह रहे हैं सत्य में जाओ. यह एक ही दिशा है. एक दिशा में जाकर एक व्यक्ति एक पहलू को छू रहा है तो दुसरा दुसरे पहलु को छू रहा है, जैसे किसी ने न्यायदर्शन, किसी ने वेदांत, किसी ने मिमंत दर्शन. इससे ये अलग-अलग दर्शन दिखाई पद रहे हैं लेकिन हैं वो समग्र में एक ही.

5 टिप्‍पणियां:

  1. good Ramesh!
    lekin Agnivesh aksar cheejon ka saralikaran kar jate hain. mai samajhta hoon baaten isse ek kadam aaghe badhni chahiye. tumhare prsno ka sahi jawab vistar mai ja kar hi milega.

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  2. मैंने इस साक्षात्कार को दो भागो में ब्लॉग में डाला है दुसरे भाग में कुछ महत्वपूर्ण सवाल जवाब हुए हैं...

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